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About Bhavan's Navneet Hindi:
71 साल पहले एक बीज बोया गया था, जो आज फलों-फूलों से लदा वृक्ष बनकर समाज को सदविचारों की छाया दे रहा है. देश के आज़ादी प्राप्त करने के पांच वर्ष बाद ही 1952 में स्वर्गीय श्री गोपाल नेवटिया ने हिंदी में एक डाइजेस्ट प्रकाशित करने की ज़रुरत महसूस की थी. इसी कामना ने नवनीत को जन्म दिया, जो पिछले 71 साल से निरंतर प्रकाशित हो रहा है.
आज नवनीत संभवतः हिंदी की सबसे पुरानी मासिक पत्रिका ही नहीं है,देश की सबसे महत्वपूर्ण पत्रिकाओं में इसकी गणना होती है. साहित्य, संस्कृति और समाज की धमनियों को समझने, उनकी धड़कनों को आवाज़ देने और समय को दिशा देने की एक सार्थक समझ और कोशिश का एक नाम है नवनीत.
भारतीय विद्या भवन द्वारा प्रकाशित यह पत्रिका उन मूल्यों और आदर्शों की संवाहक है जो भारतीय संस्कृति को एक पहचान देते हैं.
समय की आवश्यकताओं को समझकर उनके अनुरूप स्वयं को ढालने और उन आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए, समय की शक्तियों को गति देने का एक अविराम संकल्प है नवनीत.
हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के शीर्ष रचनाकारों की लेखनी के माध्यम से यह पत्रिका सांस्कृतिक पत्रकारिता की एक पहचान बन चुकी है.
विषयों की विविधाता और गहराई के साथ उनका विश्लेषण नवनीत की विशेषता है और पुरानी तथा नई पीढ़ी के लिए सार्थक सामग्री नवनीत को विशिष्ट बनाती है.
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कुलपति उवाच | ||||
03 | विज्ञान का अंतर्द्वन्द्व के.एम. मुनशी |
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अध्यक्षीय | ||||
04 | आप वही हैं जो आप सोचते हैं सुरेंद्रलाल जी. मेहता |
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पहली सीढ़ी | ||||
11 | कोई अधूरा पूरा नहीं होता विनोद कुमार शुक्ल |
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धारावाहिक उपन्यास (भाग - 11) | ||||
114 | हिन्देन्दु श्याम बिहारी श्यामल |
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शब्द-सम्पदा | ||||
126 | कुरमीटोला और चमारटोली अजित वडनेरकर |
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व्यंग्य | ||||
90 | अंधों का, अंधों के लिए शशिकांत सिंह 'शशि' |
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आवरण-कथा | ||||
12 | परिवार से राष्ट्र तक सम्पादकीय |
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14 | राष्ट्र एक परिवार शिवदयाल |
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19 | परिवार और राष्ट्र टूट रहा है अच्युतानंद मिश्र |
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23 | संस्कृति-संविधान संरक्षित राष्ट्रीय कुटुम्ब शिवेन्द्र राणा |
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29 | ...ताकि अखंडता बनी रहे विकास मिश्र |
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आलेख | ||||
33 | फूल मत मारो विद्यानिवास मिश्र |
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50 | इक्कीसवीं सदी की चुनौतियां डॉ. एम.एस. स्वामिनाथन् |
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58 | मां है, इसीलिए दुनिया बची हुई है! प्रकाश मनु |
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72 | सौंदर्य का अनूठा खजाना अरुणेंद्र नाथ वर्मा |
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78 | जब सितुही में चांद उतरता था चंचल |
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84 | शरीर और आत्मा का तारतम्य जोड़ती हैं हान कांग शशिधर खान |
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96 | 'आओ एक घर में रहें' सुरेंद्र शर्मा |
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129 | शहिंदी पत्रकारिता के तीन कवि-शिखर प्रकाश चंद्रायन |
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132 | पतनशील पत्रकारिता अंग्रेज़ी से प्रतिमान उधार लेती है रघुवीर सहाय |
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137 | किताबें | |||
कथा | ||||
36 | छोटे आसमां में बड़ी उड़ान गुरमीत कड़ियालवी |
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101 | उत्तरदायित्व का चक्रव्यूह संजय कुमार सिंह |
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कविताएं | ||||
55 | डरो विष्णु खरे |
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56 | डर-सूक्त वसंत देव |
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83 | नींद सुहानी दे दो राजीव गुप्ता |
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95 | इतिहास की गति गोविंद चंद्र पांडे |
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110 | तीन कविताएं ओम नागर |
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समाचार | ||||
140 | भवन समाचार | |||
144 | संस्कृति समाचार |
संपादक
विश्वनाथ सचदेव
फ़ोन : 022-23631261 / 23634462
फैक्स : 022-23630058
इ-मेल :navneet.hindi@gmail.com
सम्पादकीय कार्यालय
नवनीत
भारतीय विद्या भवन
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चौपाटी, मुंबई 400 007