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About Bhavan's Navneet Hindi:
70 साल पहले एक बीज बोया गया था, जो आज फलों-फूलों से लदा वृक्ष बनकर समाज को सदविचारों की छाया दे रहा है. देश के आज़ादी प्राप्त करने के पांच वर्ष बाद ही 1952 में स्वर्गीय श्री गोपाल नेवटिया ने हिंदी में एक डाइजेस्ट प्रकाशित करने की ज़रुरत महसूस की थी. इसी कामना ने नवनीत को जन्म दिया, जो पिछले 70 साल से निरंतर प्रकाशित हो रहा है.
आज नवनीत संभवतः हिंदी की सबसे पुरानी मासिक पत्रिका ही नहीं है,देश की सबसे महत्वपूर्ण पत्रिकाओं में इसकी गणना होती है. साहित्य, संस्कृति और समाज की धमनियों को समझने, उनकी धड़कनों को आवाज़ देने और समय को दिशा देने की एक सार्थक समझ और कोशिश का एक नाम है नवनीत.
भारतीय विद्या भवन द्वारा प्रकाशित यह पत्रिका उन मूल्यों और आदर्शों की संवाहक है जो भारतीय संस्कृति को एक पहचान देते हैं.
समय की आवश्यकताओं को समझकर उनके अनुरूप स्वयं को ढालने और उन आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए, समय की शक्तियों को गति देने का एक अविराम संकल्प है नवनीत.
हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के शीर्ष रचनाकारों की लेखनी के माध्यम से यह पत्रिका सांस्कृतिक पत्रकारिता की एक पहचान बन चुकी है.
विषयों की विविधाता और गहराई के साथ उनका विश्लेषण नवनीत की विशेषता है और पुरानी तथा नई पीढ़ी के लिए सार्थक सामग्री नवनीत को विशिष्ट बनाती है.
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कुलपति उवाच | ||||
03 | जीवन में ईश्वर के.एम. मुनशी |
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संदेश | ||||
04 | सुरेंद्रलाल जी. मेहता | |||
05 | होमी दस्तुर | |||
पहली सीढ़ी | ||||
11 | अरे, अभी तो... रोबर्ट फ्रोस्ट |
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व्यंग्य | ||||
50 | बूढ़ा ठग प्रेम जनमेजय |
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शब्द-सम्पदा | ||||
188 | 'चिरंजीव' यानी 'चिरजीवी' अजित वडनेरकर |
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आवरण-कथा | ||||
12 | सूर्यास्त धकियाने का सुख सम्पादकीय |
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14 | तन से बूढ़ा, मन से बूढ़ा नहीं रमेश दवे |
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23 | उम्र के चढ़ाव का उतार देखते रहे! प्रकाश मनु |
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29 | वार्धक्य पूर्ण मुक्ति के पूर्व का पूर्वाभ्यास नर्मदा प्रसाद उपाध्याय |
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32 | उम्र के चढ़ाव का उतार डॉ. श्रीराम परिहार |
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38 | जीवन-विकास की चरमावस्था पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी |
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43 | जीवन संध्या में सुबह की धूप के फूल ओम निश्चल |
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54 | इकीगाइ | |||
पूर्व-कथन | ||||
56 | संत्रास अकेलेपन का गंगा शरण सिंह |
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64 | जो अकेले रह गये... संज्ञा उपाध्याय |
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73 | आत्मसम्मान की वापसी रवींद्र कात्यायन |
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85 | उधड़े स्वेटर को बुनते हुए... | |||
106 | 'आज़ादी' कहानी का पुनर्पाठ करते हुए | |||
118 | बूढ़े बोझ की पीड़ा | |||
129 | अकेली पड़ती उम्र का अवसाद | |||
139 | एक असमाप्त जीवन की बहाली का प्रयास | |||
159 | कहानी के पीछे जिज्ञासा | |||
171 | 'ब्लेड' में मेरे खुद्दार मां-बाप हैं! | |||
कथा | ||||
58 | अकेली - मन्नू भंडारी | |||
66 | ग्लोबल गांव के... - रमेश उपाध्याय | |||
76 | वापसी - उषा प्रियंवदा | |||
88 | उधड़ा हुआ स्वेटर - सुधा अरोड़ा | |||
108 | आज़ादी - ममता कालिया | |||
120 | निर्वासित - सूर्यबाला | |||
131 | स्मार्टफोन - प्रियदर्शन | |||
141 | शरणागत - ओमा शर्मा | |||
161 | दो बूढ़ी होती औरतें - मधुसूदन आनंद | |||
174 | ब्लेड - जितेंद्र भाटिया | |||
कविताएं | ||||
47 | ...मगर धीरे-धीरे रामदरश मिश्र |
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181 | एक बूढ़ा आदमी कान्सटैन्टीन कवाफी |
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182 | वृद्धाश्रम विजय कुमार |
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183 | जाती हुई धूप संध्या की यश मालवीय |
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184 | जीवन संध्या की कविताएं रवींद्रनाथ ठाकुर |
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186 | वृद्धाएं धरती का नमक हैं अनामिका |
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समाचार | ||||
191 | भवन समाचार |
संपादक
विश्वनाथ सचदेव
फ़ोन : 022-23631261 / 23634462
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सम्पादकीय कार्यालय
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